भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बन गए हैं। PM बनने के बाद उन्होंने पहली पब्लिक स्पीच में कहा- हमारा रास्ता मुश्किल है, लेकिन यह सफर तय किया जाएगा। यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस से गलतियां हुईं, इन्हें सुधारा जाएगा।
अब ब्रिटिश संसद और खासतौर पर कंजर्वेटिव पार्टी पर नजरें रहेंगी। इसकी कुछ वाजिब वजहें भी हैं। सुनक ने स्पीच में लिज ट्रस की गलतियों का जिक्र किया। सवाल ये है कि संसद में उनके साथ अपनी ही पार्टी के 3 पूर्व प्रधानमंत्री होंगे। इसलिए ये हालात कुछ अलग नजर आते हैं।
क्या ये तीन नेता बोझ बनेंगे
थेरेसा मे, बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस। ये तीनों ही पूर्व प्रधानमंत्री वो हैं, जिन्होंने पिछले तीन साल में बतौर प्राइम मिनिस्टर काम किया। आशंका है कि संसद में तीन पूर्व PM होना कंजर्वेटिव पार्टी की अंदरूनी कलह भी बढ़ा सकता है। हालांकि, यह ब्रिटिश डेमोक्रेसी और गवर्निंग सिस्टम का हिस्सा है।
इससे भी बड़ी बात यह है कि तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों का यह समीकरण सुनक के लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है। उम्र के लिहाज से भी नए PM काफी यंग हैं। प्रेसिडेंशियल सिस्टम में यह कम देखा जाता है कि कोई पूर्व राष्ट्रपति टर्म खत्म होने के बाद बतौर सांसद पार्लियामेंट में नजर आए। दूसरी तरफ, ब्रिटेन में सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद कई पूर्व प्रधानमंत्री बतौर सांसद देखे गए।
क्या आपसी मतभेद जारी रहेंगे
- सुनक बोरिस जॉनसन कैबिनेट में बहुत कामयाब फाइनेंस मिनिस्टर रहे। जब उन्होंने जॉनसन का विरोध करते हुए कैबिनेट छोड़ी तो नतीजा ये हुआ कि बोरिस को भी कुछ महीने में इस्तीफा देना पड़ा। अब जॉनसन भी सुनक के हर कदम पर पैनी नजर रखेंगे। साथ में दो महिलाएं थेरेसा मे और लिज ट्रस भी होंगी।
- इतिहास पर नजर डालना जरूरी है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्रियों की पार्लियामेंट में बतौर सांसद लंबी मौजूदगी का एक ऐतिहासिक उदाहरण है। एडवर्ड हीथ ने बतौर PM 1974 में 10 डाउनिंग स्ट्रीट छोड़ा, लेकिन हाउस ऑफ कॉमन्स में वो 2001 तक बने रहे। बहरहाल, हाल ही में पद छोड़ने वाले तीन प्रधानमंत्री एक साथ संसद में मौजूद रहें, ये ब्रिटेन की मॉडर्न हिस्ट्री में तो नहीं देखा गया।
- इन नेताओं का आपसी नजरिया भी दूसरे से अलग रहा है। मसलन, थेरेसा मे ने कोविड-19 के दौर में बोरिस जॉनसन के बर्ताव को खुलेआम गलत बताया। जॉनसन ने भले ही सितंबर में सुनक को पार्टी नेता के पद से दूर रखने के लिए लिज ट्रस का समर्थन किया हो, लेकिन हकीकत यह है कि बाद में वो लिज की मदद के लिए संसद नहीं आए। अब ये तीनों पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कितनी मदद करेंगे? वक्त ही बताएगा।
ब्रिटेन में हिंदुओं की असली दिवाली
- ब्रिटेन में बहुत बड़ी तादाद भारतीयों की है। इनमें भी काफी हिंदू हैं। सुनक भी हिंदू हैं और कुछ साल पहले बतौर चांसलर उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी। नॉर्थ लंदन में सोमवार को बच्चे पटाखे चला रहे थे और दीपावली मना रहे थे। सुनक के प्रधानमंत्री बनने से ये काफी खुश हैं। कई लोगों ने तो खासतौर पर मिठाइयां बांटीं।
- 43 साल के हेमल जोशी कहते हैं- भारत से काफी मैसेज आ रहे हैं। ऋषि से हमें काफी उम्मीदें हैं। देखते हैं वो क्या करते हैं। बतौर चांसलर भी वो दिवाली मनाते रहे हैं। प्रिया गोहिल कहती हैं- भारतीय और हिंदू होने पर हमें फख्र है। आज मंदिर आए तो और भी खुशी हुई।
- 22 साल की शिवानी दासानी का रिएक्शन थोड़ा अलग है। मंदिर से बाहर निकलते वक्त उन्होंने कहा- पहली बार कोई अश्वेत प्रधानमंत्री बना है। हम बहुत खुश हैं। हालांकि, यह नहीं भूलना चाहिए कि ऋषि सुनक बहुत अमीर हैं और अपर क्लास से आते हैं। देखते हैं वो हमारी कम्युनिटी के लिए क्या करते हैं। वैसे भी ब्रिटेन में अब तक नस्लवाद जिंदा है।
आम आदमी के लिए क्या करेंगे?
सैमुअल शान सुनक की कामयाबी से काफी खुश हैं, लेकिन एक सवाल के साथ। वो कहते हैं- क्या ऋषि जानते हैं कि आम आदमी कैसे रहता है? वर्किंग क्लास की क्या दिक्कतें हैं? देखना यही है कि हम लोगों के लिए वो क्या करते हैं।लंदन में श्री सनातन हिंदू मंदिर के चेयरमैन नरेंद्र ठक्कर की उम्मीदें आसमान पर हैं। वो कहते हैं- इस माहौल से उबारने के लिए सुनक बिल्कुल सही व्यक्ति हैं। कोई भी तबका या मजहब हो, सुनक हर जगह पॉपुलर हैं। बतौर चांसलर उन्होंने खुद को साबित किया है। मुझे पूरा यकीन है कि बतौर प्रधानमंत्री भी लोगों को इंसाफ दिलाएंगे। हमारे लिए तो यह दिवाली बहुत खास है। वो समर्पित हिंदू हैं और अपनी कम्युनिटी से बहुत प्यार करते हैं।
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